कछुआ और खरगोश की कहानी हम सब बचपन से सुनते आ रहे हैं। सच कहूं तो यह प्रेरणा देने की बजाय बहुत से लोगों को बोर करती हैं। लेकिन मैं इस कहानी के नए संस्करण को पेश कर रहा हूं। जिस तरह से बिल गेट्स हर बार विंडोस के नए संस्करण पेश करते हैं, ठीक उसी तरह। इस कहानी में ढेर सारे कीमती सूत्र छिपे हैं और नए संस्करण में कछुआ और खरगोश आज के जमाने के सूत्र पेश करते नजर आते हैं, ऐसे सूत्र जो आपको जीवन में सफलता की राह दिखाएंगे।
कछुए और खरगोश में रेस हुई। खरगोश ने सोचा कि यह सुस्त कछुआ क्या दौड़ेगा। खरगोश अति आत्मविश्वास में कुछ दूर दौड़ कर सो गया और कछुआ धीरे-धीरे चलते-चलते मंजिल पर पहुंच गया, यह है पुराना संस्करण
कहानी की पहली सीख
सार यह है कि जीतता वह है जो लगातार पूर्ण समर्पण से कार्य करता है, ठीक उस कछुए की तरह
आप ऐसे कई से फटी हुई या अन्य लोगों को जानते होंगे जिनकेबारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा कि वह तरक्की करेंगे लेकिन आज से समृद्धि के शिखर पर हैं। उसके विपरीत कुछ ऐसे लोग भी होंगे इनकी सफलता आप तय मानते थे परंतु वे आम जीवन जी रहे हैं।
खरगोश कौम सालों से शर्मिंदा थी, वे मुंह उठाकर चल नहीं पाते थे। छुप-छुपकर जंगलों में रहते थे ताकि कोई उनका मजाक ना उड़ा दे। एक दिन खरगोशों ने अपना उनका बदला लेने का निश्चय किया। खरगोशों ने कछुए को ललकारा, परंतु अब कछुए ने दौड़ने से इनकार कर दिया क्योंकि कछुआ चतुर था, दूर की सोच रहा था।
कहानी की दूसरी सीख
एक बार शक्तिशाली शत्रु हार जाए तो भी अभिमान मत करना क्योंकि किस्मत हर बार मेहरबान नहीं होती और शत्रु हर बार त्रुटि नहीं करेगा।
खरगोश कौम ने भारी जुगाड़ लगाया, कोर्ट केस किया, हड़तालें की, जन समर्थन जुटाया और कछुए को मजबूर कर दिया फिर से दौड़ने के लिए।
बुद्धिमान कछुए ने शर्त रखी कि इस बार दौड़ का मार्ग मैं तय करूंगा। खरगोश तैयार हो गए। नियत समय पर दौड़ शुरू हो गई। खरगोश ने सोचा कि मार्ग तय करने से क्या होगा, आखिर काम तो गति ही आएगी। बड़े बेमन से कछुआ दौड़ने को तैयार हुआ परंतु कछुए ने जबरदस्त दिमाग दिखाते हुए रेस का रास्ता ऐसा बनाया कि उसके बीच में एक पानी का नाला पड़ता था।
कहानी की तीसरी सीख
जब कोई काम करना तय हो जाए तो अपनी खूबियों को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाओ।
खरगोश ने इस बार शपथ ली थी कि चाहे जो हो जाए, रास्ते में नहीं रुकूंगा। खरगोश तेजी से दौड़ा। दौड़ते-दौड़ते, अचानक खरगोश हक्का-बक्का रह गया जब उसने सामने पानी भरा नाला देखा। उसने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि कछुआ इतनी बुद्धिमानी भरी चाल चल सकता है। फिर से हार और अपमान की कल्पना करके खरगोश अंदर तक हिल गया। निराश, हताश और सुन्न खरगोश के मुंह से शब्द फूटने बंद हो गए।
कहानी की चौथी सीख
कभी भी दुश्मन या लक्ष्य को कमजोर या मूर्ख मत समझो। यदि आप चाल चल सकते हो तो वह भी चल सकता है।
खरगोश हक्का-बक्का होकर नाले के किनारे बैठ गया क्योंकि उसे तैरना नहीं आता था। इतने में कछुआ वहां पहुंचा और खरगोश को देख कर मुस्कुराया। खरगोश की शर्मिंदगी से झुकी पलकें हार स्वीकार कर चुकी थी। इतने में दोनों को चौंकाते हुए शेर वहां आ पहुंचा। उसे कुछ भी माजरा मालूम नहीं था। उसने तुरंत कछुए और खरगोश से कहा कि तुम दोनों मेरे साथ दौड़ लगाओ नहीं तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा। एक छोटी सी दौड़ के कारण तुम्हारी कहानियां हर मंच पर बोली जाती हैं और हर पुस्तक में छापी जाती हैं। अब इस कहानी में तुम्हारी जगह मैं आना चाहता हूं।
कछुए और खरगोश ने निर्णय लिया कि बिना दौड़े मरने से अच्छा है, दौड़ कर जीतने का प्रयास करना।
कहानी की पांचवी सीख
जब मुश्किल सामने हो तो हौसला हारकर समर्पण करने से अच्छा है, आखरी दम तक संघर्ष करना। कौन जाने कब स्थिति पलट जाए।
खरगोश और कछुए ने कहा- महाराज हम तो छोटे हैं, आपके सामने हमारी कोई हैसियत नहीं है इसलिए दौड़ का मार्ग हमें चुनते दें। शेर ने हिकारत से कहा- ठीक है।
पुनः दौड़ पुरानी जगह से शुरू हुई। नाले तक कछुआ खरगोश की पीठ पर बैठकर तेजी से आया। नाले पर खरगोश कछुए की पीठ पर बैठ गया। खरगोश को लेकर कछुआ चुपचाप तैरता हुआ निकल गया और शेर किनारे पर अपनी हार पर आगबबूला होता रहा क्योंकि शेर इतना शक्तिशाली होते हुए भी तैरने की योग्यता नहीं रखता।
कहानी की सीख
६) कोई बड़ा या तेज है इसका अर्थ या नहीं कि वही जीतेगा।
७) जब शत्रु शक्तिशाली हो तो टीम बनाकर मुकाबला करो।
८) यदि आपकी कमी दूसरे की खूबी हो और दूसरे की कमी आपकी खूबी हो तो इससे अच्छी जोड़ी और नहीं हो सकती।
इन जबरदस्त सूत्रों को आप अपनी जिंदगी में उतार कर अपनी सफलता का प्रतिशत बढ़ा सकते हैं और अपने लक्ष्यों को पा सकते हैं। यह कहानियां सिर्फ चेहरे पर दो पल की मुस्कान देने के लिए नहीं होती, इनका लक्ष्य होता है आप को और बेहतर बनाना। संसार में ज्ञान बहुत से रूपों में बिखरा पड़ा है, यदि आप ज्ञान लेने के लिए तैयार नहीं है तो इनका मूल कौड़ी का भी नहीं है।