गुरुवार, 3 अगस्त 2023

भगवान के घर देर है अंधेर नहीं

 जब भी हम अकेले होते हैं, अनायास ही हमें ईश्वर याद आ जाता है। डॉक्टर भी मरीज को बचाने के सारे प्रयास करने के बाद कहता है, सब कुछ ऊपर वाले के हाथ में है। यकीन कीजिए वह ऊपर वाला बहुत शक्तिशाली है और वह अपने बन्दों को खुश देखना चाहता है। उन्हें उनके कार्य का उचित परिणाम देना चाहता है। उसके दरबार में देर तो हो सकती है परंतु अंधेर नहीं है। बस वो इंतजार करता है कि आप पूरी तन्मयता से कार्य करें।


भगवान भी कर्म वीरों को चाहता है 




एक गांव में बाढ़ आई थी। लोग जान बचाने के लिए घर की छत पर चढ़े हुए थे। एक व्यक्ति छत पर चढ़कर लगातार भगवान को याद कर रहा था। वह धार्मिक प्रवृत्तियों में गहरी आस्था रखने वाला व्यक्ति था। पानी बढ़ता जा रहा था। इतने में वहां एक नाव आई, दूसरे लोगों ने उसे नाव में आने के लिए आवाज लगाई।

उसने जवाब दिया - नहीं, मेरी तो प्रभु रक्षा करेंगे और वह नाव आगे निकल गई। फिर थोड़ी देर बाद एक और नाव आई, फिर से लोगों ने उससे कहा - जल्दी आ जाओ, बहुत जल्दी पानी तुम्हारी छत तक पहुंच जाएगा। उसने जवाब दिया मुझे कुछ नहीं होगा, मुझे तो भगवान जरूर बचाएंगे। और पानी लगातार बढ़ रहा था, अब छत पर भी पानी पहुंचने लगा था। इतने में एक हेलीकॉप्टर आया, उसमें सवार एक व्यक्ति ने रस्सी फेंकी और उसे पकड़कर हेलीकॉप्टर में आने को कहा। उस व्यक्ति ने जवाब दिया - नहीं, मुझे तो भगवान बचाएंगे।

हेलीकॉप्टर से आवाज आई, कुछ ही मिनटों में तुम्हारी छत डूब जाएगी, जल्दी आओ। उसने मना कर दिया और उसके बाद कुछ ही देर में पानी में डूब कर मर गया। मरने के बाद ऊपर वाले के पास पहुंचा। वह बहुत क्रोधित था। उसने भगवान से कहा - मैंने जीवन भर आपकी भक्ति की और जब मैं मर रहा था, आप मुझे बचाने नहीं आए। भगवान ने कहा - मूर्ख भक्त, तेरे घर जो दो नाव और हेलीकॉप्टर आए थे, उन्हें मैंने ही भेजा था। अब तु खुद ही नहीं बचना चाहेगा तो तुझे कौन बचा सकता है। मैंने तुझे तीन बार बचने के रास्ते दिए, लेकिन तू स्वयं बचने के लिए कर्म नहीं करेगा तो मैं भी तेरी कोई मदद नहीं कर सकता।

जीवन में मुश्किलें और कठिनाइयां तो आएंगी ही, ऐसे वक्त में ऊपर वाले को याद करना लेकिन पूरी ताकत से कर्म करना क्योंकि ऊपर वाला भी कर्म वीरों को ही चाहता है। जो लोग अपनी असफलताओं और नाकामियों को भाग्य या भगवान की इच्छा के नाम पर छुपाते हैं, वे जीवन भर ऐसे ही रह जाएंगे क्योंकि ऊपर वाला भी कर्म वीरों की ही पुकार सुनता है।

गुरुवार, 15 जून 2023

जो चाहिए वो बांटो

जिंदगी बूमरैंग की तरह होती हैं, आपका किया हुआ व्यवहार घूमकर आपके पास आता है, आपके कहे हुए शब्द घूमकर आपके पास आते हैं, आप जो भी दुनिया को देते हैं वह आपके पास कई गुना होकर लौट आता है इसीलिए-"जैसा व्यवहार अपने साथ चाहते हैं वैसा ही व्यवहार दूसरों को दीजिए।"



क्योंकि आप जो बोएंगे, वही आप को काटना पड़ेगा। जो भी चीज आप सबसे ज्यादा चाहते हैं, उसे सबसे ज्यादा बांटिए। आप चाहते हैं दूसरी आप की मुश्किलों में मदद करें तो आप उनकी मुश्किलों में उनके साथ खड़े रहिए। यदि आप दूसरों को श्रेय देंगे तो आपको भी पलट कर श्रेय मिलेगा। यदि आपको सम्मान पसंद है तो दिल खोल कर दूसरों का सम्मान कीजिए। यदि आप दूसरों का तिरस्कार करेंगे तो बदले में आपको वही वापस मिलेगा। यदि आप दूसरों की दिल से प्रशंसा करेंगे तो बदले में वही पाएंगे जीवन का यह बेहद सरल सिद्धांत है परंतु फिर भी अधिकांश लोग इसे अमल में नहीं लाते।

जीतने का सबसे सरल रास्ता है कि आप दूसरों को उनकी जीत में मदद करें। यदि आप जीतना चाहते हैं तो दूसरों की सफलता के हितेषी बनिए। यदि आप प्रेम पाना चाहते हैं तो प्रेम बांटिए।

एक पिता अपने नन्हे पुत्र के साथ पर्वत पर चल रहा था। अचानक पुत्र गिर पड़ा, चोट लगने पर जोर से चिल्लाया - आह ह ह ह ह.... । अचानक वह चौक पड़ा क्योंकि पहाड़ से वैसी ही आवाज लौट कर आई - " आह ह ह ह ह "



आश्चर्यचकित हो उसने पूछा - कौन हो तुम

पहाड़ों से आवाज फिर से आई - कौन हो तुम

पुत्र चिल्लाया - मैं तुम्हारा दोस्त हूं।

आवाज लौटी - मैं तुम्हारा दोस्त हूं।

किसी को सामने आते ना देख कर पुत्र ने गुस्से में कहा - तुम कायर हो।

आवाज लौटी - तुम कायर हो।

पुत्र अचरज में पड़ गया, उसने पापा से पूछा - यह क्या हो रहा है।

पापा ने कहा - अब यहां सुनो।

वे जोर से चिल्लाए - तुम चैंपियन हो।

पहाड़ों से आवाज लौटी - तुम चैंपियन हो।

भी जोर से चिल्लाए - हम तुमसे प्यार करते हैं।

आवाज लौटी - हम तुमसे प्यार करते हैं।

बच्चा आश्चर्यचकित था, उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है। उसके पिता ने तभी उसे जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाया - बेटा, लोग इसे इको कहते हैं लेकिन यही जिंदगी है। जिंदगी में जो भी आपको मिलता है, वह आपका ही कहा हुआ या किया हुआ होता है। जिंदगी सिर्फ आपके कार्यों का आईना होती है। यदि अपनी टीम से श्रेष्ठता की उम्मीद करते हैं तो खुद में श्रेष्ठता लाइए, यदि आप दूसरों से समय की पाबंदी की उम्मीद करते हैं, तो खुद पाबंद होइए, यदि आप दूसरों से प्यार चाहते हैं तो दिल खोलकर प्यार कीजिए। यह सिद्धांत जीवन के हर क्षेत्र में लागू होगा, जिंदगी वह हर चीज आपको लौट आएगी जो आपने दी है।

यदि आपकी बातों से आपके साथ के लोग थोड़ा बेहतर महसूस करते हैं, खुश होते हैं, प्रफुल्लित होते हैं, आपके साथ समय गुजार कर अच्छा महसूस करते हैं, तो वे आपके प्रशंसक बनेंगे और आवश्यकता होने पर आपके काम आएंगे।

दो मित्र एक रेगिस्तान में चल रहे थे। किसी बात पर दोनों में विवाद हो गया और एक ने दूसरे को थप्पड़ मार दिया। थप्पड़ खाने वाले मित्र के दिल को बहुत चोट पहुंची। उसने कुछ नहीं कहा और रेत पर लिखा, आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मारा। कुछ देर बाद उन्हें पानी की झील मिली। दोनों उसमें नहाने उतर गए। अचानक जिसने थप्पड़ खाया था, वहां पानी में डूबने लगा। उसे तुरंत उसके थप्पड़ मारने वाले मित्र ने जान पर खेलकर बचा लिया। इस पर पहले मित्र ने एक चट्टान पर लिखा - आज मेरे सबसे अच्छे मित्र ने मुझे डूबने से बचाया। दूसरे मित्र ने उसे थप्पड़ को रेत पर और बचाने को चट्टान पर लिखने का कारण पूछा।



मित्र ने जवाब दिया - जब कोई अपना हमें चोट पहुंचाए तो उसे रेत पर लिखना चाहिए ताकि वह तुरंत मिट जाए और जब कोई भला करे तो उसे चट्टान पर लिखना चाहिए ताकि वह मिट ना सके व हमेशा याद रहे।

इसलिए दोस्तों जिंदगी में जो भी आप पाना चाहते हैं, वही बांटिए। आज से प्रेम, सम्मान, श्रेय, क्षमा बांटना शुरू कीजिए देखिए आपकी लोकप्रियता का ग्राफ कितनी तेजी से बढ़ता है।

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

कछुआ और खरगोश नया संस्करण 8 सीख

 कछुआ और खरगोश की कहानी हम सब बचपन से सुनते आ रहे हैं। सच कहूं तो यह प्रेरणा देने की बजाय बहुत से लोगों को बोर करती हैं। लेकिन मैं इस कहानी के नए संस्करण को पेश कर रहा हूं। जिस तरह से बिल गेट्स हर बार विंडोस के नए संस्करण पेश करते हैं, ठीक उसी तरह। इस कहानी में ढेर सारे कीमती सूत्र छिपे हैं और नए संस्करण में कछुआ और खरगोश आज के जमाने के सूत्र पेश करते नजर आते हैं, ऐसे सूत्र जो आपको जीवन में सफलता की राह दिखाएंगे।

कछुए और खरगोश में रेस हुई। खरगोश ने सोचा कि यह सुस्त कछुआ क्या दौड़ेगा। खरगोश अति आत्मविश्वास में कुछ दूर दौड़ कर सो गया और कछुआ धीरे-धीरे चलते-चलते मंजिल पर पहुंच गया, यह है पुराना संस्करण

कहानी की पहली सीख


सार यह है कि जीतता वह है जो लगातार पूर्ण समर्पण से कार्य करता है, ठीक उस कछुए की तरह


आप ऐसे कई से फटी हुई या अन्य लोगों को जानते होंगे जिनकेबारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा कि वह तरक्की करेंगे लेकिन आज से समृद्धि के शिखर पर हैं। उसके विपरीत कुछ ऐसे लोग भी होंगे इनकी सफलता आप तय मानते थे परंतु वे आम जीवन जी रहे हैं।

खरगोश कौम सालों से शर्मिंदा थी, वे मुंह उठाकर चल नहीं पाते थे। छुप-छुपकर जंगलों में रहते थे ताकि कोई उनका मजाक ना उड़ा दे। एक दिन खरगोशों ने अपना उनका बदला लेने का निश्चय किया। खरगोशों ने कछुए को ललकारा, परंतु अब कछुए ने दौड़ने से इनकार कर दिया क्योंकि कछुआ चतुर था, दूर की सोच रहा था।

कहानी की दूसरी सीख

एक बार शक्तिशाली शत्रु हार जाए तो भी अभिमान मत करना क्योंकि किस्मत हर बार मेहरबान नहीं होती और शत्रु हर बार त्रुटि नहीं करेगा।

खरगोश कौम ने भारी जुगाड़ लगाया, कोर्ट केस किया, हड़तालें की, जन समर्थन जुटाया और कछुए को मजबूर कर दिया फिर से दौड़ने के लिए।

बुद्धिमान कछुए ने शर्त रखी कि इस बार दौड़ का मार्ग मैं तय करूंगा। खरगोश तैयार हो गए। नियत समय पर दौड़ शुरू हो गई। खरगोश ने सोचा कि मार्ग तय करने से क्या होगा, आखिर काम तो गति ही आएगी। बड़े बेमन से कछुआ दौड़ने को तैयार हुआ परंतु कछुए ने जबरदस्त दिमाग दिखाते हुए रेस का रास्ता ऐसा बनाया कि उसके बीच में एक पानी का नाला पड़ता था।

कहानी की तीसरी सीख

जब कोई काम करना तय हो जाए तो अपनी खूबियों को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाओ।



खरगोश ने इस बार शपथ ली थी कि चाहे जो हो जाए, रास्ते में नहीं रुकूंगा। खरगोश तेजी से दौड़ा। दौड़ते-दौड़ते, अचानक खरगोश हक्का-बक्का रह गया जब उसने सामने पानी भरा नाला देखा। उसने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि कछुआ इतनी बुद्धिमानी भरी चाल चल सकता है। फिर से हार और अपमान की कल्पना करके खरगोश अंदर तक हिल गया। निराश, हताश और सुन्न खरगोश के मुंह से शब्द फूटने बंद हो गए।

कहानी की चौथी सीख

कभी भी दुश्मन या लक्ष्य को कमजोर या मूर्ख मत समझो। यदि आप चाल चल सकते हो तो वह भी चल सकता है।

खरगोश हक्का-बक्का होकर नाले के किनारे बैठ गया क्योंकि उसे तैरना नहीं आता था। इतने में कछुआ वहां पहुंचा और खरगोश को देख कर मुस्कुराया। खरगोश की शर्मिंदगी से झुकी पलकें हार स्वीकार कर चुकी थी। इतने में दोनों को चौंकाते हुए शेर वहां आ पहुंचा। उसे कुछ भी माजरा मालूम नहीं था। उसने तुरंत कछुए और खरगोश से कहा कि तुम दोनों मेरे साथ दौड़ लगाओ नहीं तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा। एक छोटी सी दौड़ के कारण तुम्हारी कहानियां हर मंच पर बोली जाती हैं और हर पुस्तक में छापी जाती हैं। अब इस कहानी में तुम्हारी जगह मैं आना चाहता हूं।

कछुए और खरगोश ने निर्णय लिया कि बिना दौड़े मरने से अच्छा है, दौड़ कर जीतने का प्रयास करना।

कहानी की पांचवी सीख

जब मुश्किल सामने हो तो हौसला हारकर समर्पण करने से अच्छा है, आखरी दम तक संघर्ष करना। कौन जाने कब स्थिति पलट जाए।

खरगोश और कछुए ने कहा- महाराज हम तो छोटे हैं, आपके सामने हमारी कोई हैसियत नहीं है इसलिए दौड़ का मार्ग हमें चुनते दें। शेर ने हिकारत से कहा- ठीक है।

पुनः दौड़ पुरानी जगह से शुरू हुई। नाले तक कछुआ खरगोश की पीठ पर बैठकर तेजी से आया। नाले पर खरगोश कछुए की पीठ पर बैठ गया। खरगोश को लेकर कछुआ चुपचाप तैरता हुआ निकल गया और शेर किनारे पर अपनी हार पर आगबबूला होता रहा क्योंकि शेर इतना शक्तिशाली होते हुए भी तैरने की योग्यता नहीं रखता।

कहानी की सीख

६) कोई बड़ा या तेज है इसका अर्थ या नहीं कि वही जीतेगा।

७) जब शत्रु शक्तिशाली हो तो टीम बनाकर मुकाबला करो।

८) यदि आपकी कमी दूसरे की खूबी हो और दूसरे की कमी आपकी खूबी हो तो इससे अच्छी जोड़ी और नहीं हो सकती।

इन जबरदस्त सूत्रों को आप अपनी जिंदगी में उतार कर अपनी सफलता का प्रतिशत बढ़ा सकते हैं और अपने लक्ष्यों को पा सकते हैं। यह कहानियां सिर्फ चेहरे पर दो पल की मुस्कान देने के लिए नहीं होती, इनका लक्ष्य होता है आप को और बेहतर बनाना। संसार में ज्ञान बहुत से रूपों में बिखरा पड़ा है, यदि आप ज्ञान लेने के लिए तैयार नहीं है तो इनका मूल कौड़ी का भी नहीं है।







गुरुवार, 14 जुलाई 2022

क्या आपके पास भी टाइम नहीं है

 हमें कुछ लोगों की क्षमता और प्रतिभा पर बेहद विश्वास होता है । हमें पूरा यकीन होता है कि वह व्यक्ति जीवन में जरूर सफल होगा । कुछ महीनों या सालों के बाद जब उस व्यक्ति पर पुनः गौर करते हैं तो उसे असफल या औसत जिंदगी बिताते हुए देखकर हैरानी होती है मन में कई तरह के सवाल उठते हैं कि आखिर सब कुछ होते हुए भी वह व्यक्ति असफल क्यों हो गया?

उपलब्धियां कार्य करने से हासिल होती हैं , यदि आप पूरी लगन से अपनी क्षमता को कार्य करने में नहीं लगाएंगे तो ढेर सारे गुण होते हुए भी आप आम ही रह जाएंगे । इसीलिए सिर्फ प्रतिभा, योग्यता और क्षमता होना सफलता की गारंटी नहीं है।

मैंने बहुत से लोगों को क्षमतावान होते हुए भी सुनहरे अवसर को खोते हुए देखा है । केवल अपने बहानों से वे अपनी विफलता को ढक कर रखते हैं । टाइम नहीं है, बिजी था , सांस लेने की फुर्सत नहीं है, जो लोग ये लाइनें इस्तेमाल करते हैं , वे लोग बिना कार्य के व्यस्त लोग होते हैं।

आम भारतीयों में टालने की जबरदस्त प्रवृत्ति होती है । हम हर रोज काम को टालते हैं । वह काम धीरे-धीरे इमरजेंसी बन जाता है । हमें उसका तनाव झेलना पड़ता है । और उसके लिए अतिरिक्त धन भी खर्च करना पड़ता है । इस आलस और टालमटोल से गैर जरूरी काम जमा हो जाते हैं । और इनके चक्कर में जरूरी काम छूट जाते हैं। आप भी बहुत से ऐसे लोगों को जानते होंगे , जो हमेशा व्यस्तता का बहाना करते हैं लेकिन हकीकत में सबसे ज्यादा खाली समय उन्हीं के पास होता है।

जरा ठंडे दिमाग से एक नजर अपनी दिनचर्या पर डालिए , कहीं आप भी तो समय व्यर्थ करने और टालमटोल की प्रकृति का शिकार तो नहीं है। ऐसे ढेर सारे कार्य हैं जिनमें हम रोज समय व्यर्थ करते हैं । जैसे ज्यादा देर से उठना ,अनावश्यक टीवी देखना , बिना बात के तर्क वितर्क करना , ज्यादा मोबाइल पर बात करना , जहां आवश्यकता ना हो वहां भी ज्ञान सिद्द्ध करना , निंदा करना , जो समस्याएं अस्तित्व में नहीं है उन पर भी चिंता करना और स्वयं का गुणगान करना।

लेकिन अधिकांश लोग अपनी आदतों तथा दिनचर्या पर गौर नहीं करते । पहले मुझे भी समय की कमी बहुत महसूस होती थी । फिर मैंने अपनी दिनचर्या पर गौर किया तो शुरुआत में लगा कि मैं जरा भी समय व्यर्थ नहीं गंवाती हूं । फिर पुनः गहराई से बार बार सोचा तो मेरी दो मुख्य गलतियां सामने आई। मैं मोबाइल पर अधिक बात करती हूं तथा मैं बहस में बढ़-चढ़कर भाग लेती हूं । फिर मन में विचार आया कि मैं किसी भी बहस में मुफ्त की सलाह बांट देती हूं । कुछ देर तक तो बहस में जीतने की खुशी होती है । ज्ञानी का लेबल लग जाता है । परंतु बाद में उस हारे हुए व्यक्ति के साथ रिश्तो में दरार आ जाती है । और समय भी खराब होता है। मैंने उसी क्षण निर्णय लिया कि अब बिना परिणाम की बहस नहीं करूंगी और साथ ही मोबाइल पर सिर्फ आवश्यकतानुसार ही बात करूंगी । अब हर रोज 45 मिनट मेरे पास अतिरिक्त रहते हैं जिनमें कई और कार्य हो जाते हैं।

यदि आपके काम भी अधूरे छूटते हैं आपको भी काम भूलने की आदत है तो आप 1 महीने तक रोज के कार्य लिखें और जो कार्य पूरे होते जाएं उन्हें काट दें। जो काम करना जरूरी हो उन्हें तुरंत करें और जिन्हें नहीं करना हो उनके लिए "ना" कहना सीखे। "ना" सुनकर एक बार दूसरों को बुरा लग सकता है लेकिन मैं दूसरी बार वे आपका समय नष्ट नहीं करेंगे। हर रात सोने से पहले अगले दिन के कार्यक्रम को अपनी डायरी में लिखे । इससे आपको टालमटोल या बहानेबाजी नहीं करनी पड़ेगी। यदि आप किसी अति महत्वपूर्ण कार्य में व्यस्त नहीं है और कोई कार्य याद आए तो उसे तुरंत करें उसे बाद के लिए ना टालें ।

मित्रों ,रोज के छोटे-छोटे कार्यों में टालमटोल करेंगे तो बड़े कार्य नहीं कर पाएंगे । मुझे उम्मीद है कि आप समय व्यर्थ करके और काम टालकर अपने भविष्य और सपनों के साथ विश्वासघात नहीं करेंगे।


सोमवार, 16 मई 2022

स्वयं की मार्केटिंग कीजिए

 लोग आपको आदर नहीं देंगे,

जब तक आप स्वयं को आदर नहीं देंगे।

लोग आप की कीमत नहीं समझेंगे,

जब तक आप अपनी कीमत नहीं समझेंगे।

लोग आपकी प्रतिभा नहीं पहचानेंगे,

जब तक आप अपनी प्रतिभा नहीं पहचानेंगे

 मीडिया के वर्तमान युग में मार्केटिंग सफलता में अहम भूमिका निभाने लगी है। आप स्वयं को, और अपनी प्रतिभा को किस तरह पेश करते हैं, यह आज के दौर में बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। कुछ लोग कहते हैं कि यदि आपके अंदर योग्यता और प्रतिभा है तो वह एक दिन अवश्य पहचानी जाएगी। यह एक श्रेष्ठ विचार है परंतु वर्तमान युग में हर किसी की प्रतिभा स्वत: पहचान ली जाए, यह संभव नहीं है। लाखों लोग प्रतिभावान हैं परंतु चंद लोग ही शिखर पर जगह बना पाते हैं। आपकी प्रतिभा और आपके गुण आपके भीतर ही दबे रह जाते हैं यदि आप उन्हें पेश नहीं करते, उन्हें प्रदर्शित नहीं करते। हमें ऐसे कई लोग मिलते हैं जो चमत्कारिक तेजी से शीर्ष पर पहुंच जाते हैं, अपने समकक्ष लोगों को बहुत पीछे छोड़ देते हैं। यह लोग अपने विशिष्ट गुणों के साथ जीत का कॉमन सेंस भी इस्तेमाल करते हैं। मेरा मानना है कि सफलता के लिए जीनियस होने से कहीं ज्यादा जरूरी है, कॉमन सेंस होना।

यदि आप एक सफल गायक बनना चाहते हैं तो आपको अपना शानदार बायोडाटा, प्रशंसा पत्र, विशिष्ट फोटोग्राफ और अपने गीतों का ऑडियो सीडी या कैसेट विभिन्न संगीत कंपनियों और निर्देशकों को भेजना पड़ेगा, स्वयं की मार्केटिंग करनी होगी। अपने गुणों को सर्वश्रेष्ठ रूप से प्रस्तुत करना होगा। यदि आप सोच रहे हैं कि बिना मार्केटिंग किए घर बैठे एक दिन आप की प्रतिभा पहचान ली जाएगी तो आप गलत सोच रहे हैं। 


शुरुआती स्तर पर अपनी प्रतिभा का भोंपू स्वयं बजाना पड़ता है अपनी तारीफ स्वयं करनी होती है और खुद की मार्केटिंग करना शर्मिंदगी वाली बात नहीं है।

मुझे नौकरी हेतु भेजा गया एक उम्मीदवार का बायोडाटा याद है। उसने लिखा था- मैं एक असाधारण व्यक्ति हूं और आपकी कंपनी के लाखों रुपए पहले दिन से ही बचा सकता हूं, साथ ही बिना ₹1 खर्च किए आपको 10% अतिरिक्त कर्मचारी दे सकता हूं। इंटरव्यू के पहले ही उसका नाम इंटरव्यू पैनल के सदस्यों की जुबान पर था। कोई उसे मूर्ख कह रहा था, कोई साहसी तो कोई असाधारण, लेकिन हर कोई उसकी बात सुनना चाहता था। वह सब का ध्यान खींचने में कामयाब हो चुका था।

इंटरव्यू में उससे पहला सवाल पूछा गया - क्या तुमने बायोडाटा में जो लिखा है, वह सच है ? उसने जवाब दिया - हां, वह सच है। पैनल ने पूछा - कैसे संभव है ? उसने कहा - महोदय, नौकरी के लिए आवेदन देने के पहले मैंने आपकी कंपनी की कार्यशैली और कर्मचारियों के तौर-तरीकों का अध्ययन किया है, इसमें मैंने पाया कि - 

आप के लगभग 100 कर्मचारी आधा घंटा देर से आते हैं और आधा घंटे पहले ही चले जाते हैं। आप साल में कुल मिलाकर 36500 घंटों की तनख्वाह मुफ्त बांट रहे हैं। 

यदि आपके संस्थान में कार्य की अवधि 8 से 10 घंटे की है तो यह मानें कि आप के 100 कर्मचारी प्रतिदिन एक घंटा देर से आने और जल्दी जाने की वजह से 10% समय व्यर्थ करते हैं। 

यदि सबको समय पर पहुंचना अनिवार्य कर दिया जाए तो 36500 घंटों की मुफ्त तनख़ाह बचेगी और 10% कार्य के घंटे बढ़ जाएंगे। 

उस उम्मीदवार ने सबके दिलों में जगह बना ली और चुन लिया गया। अपने आप को विशिष्ट दिखाने का और, प्रतिभावान कहलाने का प्रयास कीजिए। लोगों से मिलिए, उन्हें प्रभावित कीजिए, अखबारों में लिखिए, सुर्खियों में दिखिए। जो कर सकते हो वह सब कुछ कीजिए, लेकिन भीड़ से अलग नजर आइए।


जब आप खुद की मार्केटिंग करेंगे तो लोग आपको कई तरह के नाम देंगे जैसे अवसरवादी, अति महत्वाकांक्षी, ओवर स्मार्ट, चापलूस आदि। उनकी परवाह मत कीजिए क्योंकि थोड़े दिन बाद उनकी जुबान पर एक ही शब्द बचेगा - सफल।

स्वयं को सलीके से पेश कीजिए, अच्छा पहने श्रेष्ठ नजर आइए, अपनी बाहरी आवरण पर ध्यान दीजिए, व्यक्तित्व ही सकारात्मक प्रथम प्रभाव ( फर्स्ट इंप्रेशन ) बनाता है। अपने गुणों को उजागर कीजिए, अपनी प्रतिभा लोगों के सामने लाइए। यह मत सोचिए कि कौन क्या कहेगा। इसलिए आज से ही स्वयं के मार्केटिंग करना प्रारंभ कर दीजिए।

गुरुवार, 31 मार्च 2022

जैसा नजरिया वैसा संसार

 दुनिया को देखने का हर व्यक्ति का अपना नजरिया होता है। गुलाब के पौधे में किसी को फूल नजर आता है तो किसी को कांटे। जो व्यक्ति जैसा सोचता है उसे दुनिया वैसी ही नजर आती है। कुछ लोगों को समस्या दिखती है तो कुछ लोगों को हर और अवसर दिखाई देते हैं। कुछ लोग जन्मदिन पर दुखी होते हैं कि उम्र कम हो गई तो कुछ खुश होते हैं कि एक शानदार साल बीता और एक शानदार साल सामने हैं। अपनी सोच के अनुसार चीजें नजर आती हैं और वैसे ही घटती हैं।



इस बात को समझने के लिए हम एक कहानी का उदाहरण ले सकते हैं। चार अंधे एक राजा के दरबार में गए। राजा ने उन्हें एक हाथी दिया और कहा जिसका तुम स्पर्श कर रहे हो उसका वर्णन करो। जो व्यक्ति पूंछ की तरफ खड़ा था उसने कहा कि हाथी रस्सी की तरह होता है। जो व्यक्ति पैर की तरफ खड़ा था उसने कहा कि हाथी मोटे तने की तरह होता है। जो व्यक्ति सूंड की तरफ था उसने कहा कि हाथी सांप की तरह होता है। जो व्यक्ति पेट की तरफ था उसने कहा हाथी मोटी दीवार की तरह होता है और चारों ही बहस में उलझ पड़े।

कहना यही है कि हर व्यक्ति हर वस्तु और घटना को अपने नजरिए से देखता है। एक व्यक्ति किसी के लिए बुरा हो सकता है तो किसी दूसरे के लिए अच्छा भी हो सकता है। एक ही वस्तु या मुद्दे के बारे में विभिन्न लोगों की विभिन्न राय होती है और सब अपना राग अलापने हुए उसी बात पर अड़े रहते हैं। इसीलिए अपने नजरिया पर काम कीजिए यदि आपका नजरिया सुख ढूंढने वाला होगा तो सुख स्वयं ही आपका साथी बन जाएगा। यदि आपका नजरिया दुख ढूंढने वाला रहेगा तो दुख आपका कभी भी पीछा नहीं छोड़ेगा। सुख ढूंढने की आदत बनाएं विपत्तियों में अवसर ढूंढने का प्रयास करें क्योंकि सिर पकड़कर बैठने से कुछ नहीं होगा।

जूतों की एक प्रसिद्ध कंपनी ने अफ्रीका में अपना कारोबार फैलाने के लिए एक सेल्समैन को बाजार का जायजा लेने भेजा। सेल्समैन ने वहां पहुंच कर देखा कि अधिकतर लोगों के पैरों में जूते नहीं थे। निराश होकर उसने कंपनी को रिपोर्ट भेजी की बुरी खबर है वहां कोई जूते नहीं पहनता। उसके बाद कंपनी ने दूसरे सेल्समैन को भेजकर उसकी राय जाननी चाही। कुछ समय बाद उत्साहित मैनेजर की रिपोर्ट मिली। उसने लिखा बहुत अच्छी खबर है। यहां अच्छा व्यवसाय होने की पूरी संभावना है हमें खूब मुनाफा होगा। यहां के लोग जूते नहीं पहनते बस एक बार उन्हें जूतों का महत्व समझाना होगा।

इस उदाहरण से आपको समझ आ ही गया होगा कि स्वयं को आशावादी सकारात्मक सोच देना कितना जरूरी है। स्वयं का और अपने परिवार के सही नजरिया का विकास कीजिए। आशावादी सकारात्मक सोच दीजिए। यदि नजरिया नकारात्मक है तो आप तमाम सुविधाओं के बीच भी परेशान ही रहेंगे। लोग तमाम गलतियों के लिए दूसरों को ही जिम्मेदार मानते हैं। इसलिए एक क्षण ठहरिए और अपने नजरिए पर गौर कीजिए। दुनिया में सब को बदलने का असफल प्रयास करने से सरल है आप खुद को ही बदल दो।

रविवार, 13 फ़रवरी 2022

थोड़ा सा एक्स्ट्रा

 रोज सुबह से शाम तक उन्हीं कार्यों को उन्हीं तरीकों से करके आपको जिंदगी में कुछ अतिरिक्त हासिल होना मुश्किल है। यदि आपको जिंदगी में कुछ एक्स्ट्रा चाहिए तो आपको जिंदगी को कुछ एक्स्ट्रा देना होगा। आप नौकरी के विज्ञापन देखिए वहां लिखा होता है अतिरिक्त अनुभव या अतिरिक्त डिग्री वालों को प्राथमिकता। विज्ञापनों में देखिए साबुन के साथ कंघा फ्री तेल के साथ क्रीम फ्री कार के साथ छुट्टियां फ्री मकान के साथ विदेश यात्रा फ्री अर्थात आज बिना कुछ अतिरिक्त दिए कोई उत्पाद नहीं बिकता। ठीक इसी तरह बिना अतिरिक्त गुणों के इंसान का भी मोल कम होता जा रहा है।



जिंदगी एक प्रतियोगिता की तरह है वहां सबसे सक्षम खिलाड़ी ही जीत सकता है इसलिए आज से हर कार्य में अतिरिक्त रुचि दिखाना शुरू कीजिए। हर कार्य के दौरान एक बार अवश्य सोचें कि इसमें एक विचार और कौन सा डाल सकता हूं। जिस सफर में दूसरे लोग थक कर रुक जाएं वहां आप सिर्फ एक कदम और आगे बढ़ाइए। थोड़ी एक्स्ट्रा रुचि थोड़ा समर्पण थोड़े से एक्स्ट्रा आईडिया ही इस संसार में मनुष्य के बीच फर्क पैदा करते हैं।

थोड़ा सा एक्स्ट्रा देकर आप दूसरों को अपना बना सकते हैं थोड़ा सा एक्स्ट्रा कार्य करके आप अतिरिक्त धन कमा सकते हैं थोड़ी सी एक्स्ट्रा पढ़ाई करके आप सामान्य से सफल छात्र बन सकते हैं।

हमेशा अपनी जिंदगी में एक फिलॉसफी को रखिए बस एक कदम और। यही फिलॉसफी आपको अपनी जिंदगी में कुछ एक्स्ट्रा करने की प्रेरणा देगी।

मित्रों मोटी तनख्वाह और अच्छी नौकरियां इन थोड़े से एक्स्ट्रा गुणों की मदद से ही मिल सकती हैं। यदि आप जिंदगी के हर मोड़ पर यह एक्स्ट्रा फार्मूला रख ले तो आप चाहकर भी आम नहीं रह पाएंगे आपको खास बनना ही होगा। आज से हर कार्य के बाद खुद से एक इमानदार सवाल पूछे कि मैंने इसमें थोड़ा सा एक्स्ट्रा क्या किया है? और यदि आप यहां एक्स्ट्रा देने के लिए तैयार नहीं है तो फिर आप आम बने रहने के लिए तैयार रहें।

भगवान के घर देर है अंधेर नहीं

 जब भी हम अकेले होते हैं, अनायास ही हमें ईश्वर याद आ जाता है। डॉक्टर भी मरीज को बचाने के सारे प्रयास करने के बाद कहता है, सब कुछ ऊपर वाले के...